Index Search for 'दुर्बलवारङ्गं' |
Sutra: | ततः शल्यमुद्धृत्य निर्लोहितं व्रणं कृत्वा स्वेदार्हमग्निघृतप्रभृतिभिः संस्वेद्यावदह्य प्रदिह्य सर्पिर्मधुभ्यां बद्ध्वाऽचारिकमुपदिशेत्। (सिरास्नायुविलग्नं शलाकादिभिर्विमोच्यापनयेत् श्वयथुग्रस्तवारङ्गं समवपीड्य श्वयथुंदुर्बलवारङ्गं कुशादिभिर्बद्ध्वा)। |
Reference: | 1.1.27.13.0(पूर्व>सूत्र>शल्यापनयनीयम्>सूत्र#13.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | शल्यापनयनीयम् |
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