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Sutra: | तत्र शिरोरोगाधिमन्थयोर्भ्रूललाटशङ्खप्रदेशेषुदहेत्। वर्त्मरोगेष्वार्द्रालक्तकप्रतिच्छन्नां दृष्टिं कृत्वा वर्त्मरोमकूपमान्॥ |
Reference: | 1.1.12.9.0(पूर्व>सूत्र>अग्निकर्मविधिम्>सूत्र#9.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्निकर्मविधिम् |
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