Index Search for 'दद्रुकुष्ठं' |
Sutra: | तत्र वातेनारुणं, पित्तेनोदुम्बरर्ष्य(र्क्ष) जिह्वकपालकाकणाकानि, श्लेष्मणा पुण्डरीकंदद्रुकुष्ठं चेति। तेषां महत्त्वं क्रियागुरुत्वमुत्तरोत्तरंधात्वनुप्रवेशादसाध्यत्वं चेति॥ |
Reference: | 1.1.5.7.0(पूर्व>सूत्र>अग्रोपहरणीयम्>सूत्र#7.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्रोपहरणीयम् |
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