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Sutra: | एतत् परिस्राव्युदरं प्रदिष्टंदकोदरं कीर्तियतो निबोध। यः स्नेहपीतोऽप्यनुवासितो वा वान्तो विरिक्तोऽप्यथवा निरूढः॥ |
Reference: | 1.1.7.21.0(पूर्व>सूत्र>यन्त्रविधिम्>सूत्र#21.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | यन्त्रविधिम् |
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