Index Search for 'त्रींश्चतुरो' |
Sutra: | लब्धगर्भायाश्चैतेष्वह:सु लक्ष्मणावटशुङ्गासहदेवाविश्वदेवानामन्यतमां क्षीरेणाभिषुत्यत्रींश्चतुरो वा बिन्दून् दद्याद्द्क्षिणे नासापुटे पुत्रकामायै, न च तान्निष्ठीवेत्॥ |
Reference: | 1.1.2.32.0(पूर्व>सूत्र>शिष्योपनयनीयम्>सूत्र#32.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | शिष्योपनयनीयम् |
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