Index Search for 'ज्योतिर्मृद्गाति' |
Sutra: | सर्वाः स्युर्वलयो येषां दुर्नामभिरुपद्रुताः। तैस्तु प्रतिहतो वायुरपानः सन्निवर्तते। ततो व्यानेन सङ्गम्यज्योतिर्मृद्गाति देहिनाम्॥ |
Reference: | 1.1.2.26.0(पूर्व>सूत्र>शिष्योपनयनीयम्>सूत्र#26.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | शिष्योपनयनीयम् |
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