Index Search for 'जिघांसुः॥' |
Sutra: | स्रोतोजशङ्खदधिसैन्धवमर्धपक्षं शुक्रं शिशोर्नुदति भावितमञ्जनेन। स्यन्दे कफादभिहितं क्रममाचरेच्च बालस्य रोगकुशलोऽक्षिगदंजिघांसुः॥ |
Reference: | 1.1.19.16.0(पूर्व>सूत्र>व्रणितोपासनीयम्>सूत्र#16.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | व्रणितोपासनीयम् |
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