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Sutra: | जात्याः पुष्पं सैन्धवं शृङ्गवेरं कृष्णाबीजं कीटशत्रोश्च सारम्। एतत् पिष्टं नेत्रपाकेऽञ्जनार्थं क्षौद्रोपेतं निर्विशङ्कं प्रयोज्यम्॥ |
Reference: | 1.1.12.44.0(पूर्व>सूत्र>अग्निकर्मविधिम्>सूत्र#44.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्निकर्मविधिम् |
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