Index Search for 'जना:॥' |
Sutra: | पक्वं वा सरुजं पूति मुहुर्बद्धं मुहुर्बद्धं मुहुर्द्रवम्। ग्रहणीरोगमाहुस्तमायुस्तमायुर्वेदविदोजना:॥ |
Reference: | 1.1.40.171.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#171.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|