Index Search for 'खलु' |
Sutra: | पाण्ड्वामयोऽष्टार्धविधःप्रदिष्टः पृथक्समस्तैर्युगपच्च दोषैः। सर्वेषु चैतेष्विह पाण्डु भावो यतोधिकोऽतःखलु पाण्डुरोगः॥ |
Reference: | 1.1.44.4.0(पूर्व>सूत्र>विरेचनद्रव्यविकल्पविज्ञानीयम्>सूत्र#4.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | विरेचनद्रव्यविकल्पविज्ञानीयम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|