Index Search for 'क्षौद्रायुतैश्च' |
Sutra: | सूर्यप्रभां न सहते स्रवति प्रबद्धं तस्याहरेद्रुधिरमाशु विनिर्लिखेच्च।क्षौद्रायुतैश्च कटुभिः प्रतिसारयेत्तु मातुः शिशोरभिहितम् च विधिं विदध्यात्॥ |
Reference: | 1.1.19.10.0(पूर्व>सूत्र>व्रणितोपासनीयम्>सूत्र#10.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | व्रणितोपासनीयम् |
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