Index Search for 'क्षीरं' |
Sutra: | पक्वानि सम्यक् पुटपाकयोगेनापोथ्य तेभ्यो रसमाददीत।क्षीरं श्रृतं तैलहविर्विमिश्रं कल्केन यष्टीमधुकस्य वाऽपि॥ |
Reference: | 1.1.40.141.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#141.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|