Index Search for 'क्षिप्रपाकभेदिन्यश्च' |
Sutra: | शराविकाद्या नव पिडकाः प्रागुक्तास्ताः प्राणवतोऽल्पास्त्वङ्मांसप्राप्ताः मृद्ध्योऽल्परुजःक्षिप्रपाकभेदिन्यश्च साध्याः। ताभिरुपद्रुतं प्रमेहिणमुपचरेत्॥ |
Reference: | 1.1.12.3.0(पूर्व>सूत्र>अग्निकर्मविधिम्>सूत्र#3.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्निकर्मविधिम् |
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