Index Search for 'क्षवथुर्निरेति।' |
Sutra: | सूत्रादिभिर्वा तरुणास्थिमर्मण्युद्घाटितेऽन्यःक्षवथुर्निरेति। प्रभ्रश्यते नासिकयैव यश्च सान्द्रो विदग्शो लवणः कफस्तु॥ |
Reference: | 1.1.22.13.0(पूर्व>सूत्र>व्रणास्रावविज्ञानीयम्>सूत्र#13.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | व्रणास्रावविज्ञानीयम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|