Index Search for 'क्षवथुं' |
Sutra: | कफ़ानुयातो बहुशः सशब्दस्तं रोगमाहुःक्षवथुं विधिज्ञाः। तीक्ष्णोपयोगातिजिघ्रतो वा भावान् कटुनर्कनिरीक्षणाद्वा॥ |
Reference: | 1.1.22.12.0(पूर्व>सूत्र>व्रणास्रावविज्ञानीयम्>सूत्र#12.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | व्रणास्रावविज्ञानीयम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|