Index Search for 'क्षतविसर्पणमसृजः' |
Sutra: | तस्य पूर्वरूपाणि- त्वक्पारुष्यमकस्माद्रोमहर्षः कण्डूः स्वेदबाहुल्यमस्वेदनं वाऽङ्गप्रदेशानां स्वापःक्षतविसर्पणमसृजः कृ्ष्णता चेति॥ |
Reference: | 1.1.5.4.0(पूर्व>सूत्र>अग्रोपहरणीयम्>सूत्र#4.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्रोपहरणीयम् |
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