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Sutra: | सिध्यन्ति वातकफपित्तकृता विसर्पा: सर्वात्मक:क्षतकृतश्च न सद्धिमेति। पैत्तानिलावपि च दर्शितपूर्वलिङ्गौ सर्वे च मर्मसु भवन्ति हि कृच्छ्रसाध्या:॥ |
Reference: | 1.1.10.8.0(पूर्व>सूत्र>विशिखानुप्रवेशनीयम्>सूत्र#8.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | विशिखानुप्रवेशनीयम् |
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