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Sutra: | सद्योहते नयन एष विधिस्तदूर्ध्वं स्यन्देरितो भवति दोषमवेक्ष्य कार्यः। अभ्याहतं नयनमीषदथास्यबाष्पसंस्वेदितं भवति तन्निरुजंक्षणेन॥ |
Reference: | 1.1.19.5.0(पूर्व>सूत्र>व्रणितोपासनीयम्>सूत्र#5.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | व्रणितोपासनीयम् |
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