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Index Search for        'एवमेवातिबलानागबलाविदारीशतावरीणामुपयोगः'
Sutra: यथोक्तमागारं प्रविश्य बलामूलार्धपलं वा पयसाऽलोड्य पिबेत् जीर्णे पयः सर्पिरोदन इत्याहारः एवं द्वादशरात्रमुपयुज्य द्वादश वर्षाणि वयस्तिष्ठति।एवमेवातिबलानागबलाविदारीशतावरीणामुपयोगः विशेषतस्त्वति बलामुदकेन नागबलाचूर्णं मधुना विदारीचूर्णं क्षीरेण शतावरीमप्येवं पूर्वेणान्यत् समानमाशिषश्च समाः एतास्त्वौषधयो बलकामानां शोषिणां रक्तपित्तपोसृष्टानां शोणितं छर्दयतां विरिच्यमानानां चोपदिश्यन्ते॥
Reference:1.1.27.10.0(पूर्व>सूत्र>शल्यापनयनीयम्>सूत्र#10.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:शल्यापनयनीयम्
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