Search Sushruta-Samhita (सुश्रुत-संहिता-अण्वेषण-पृष्ठ)     Susruta Samhit Home (आदि-पृष्ठ)           Site Home  (वेब-फलक-आदि-पृष्ठ)

DIRECT SEARCH(unicode Sanskrit)
  

ALPHABET SEARCH
                                 अं       लृ                                    
                                                            क्ष   त्र   ज्ञ


SEARCH BY CLASS
Tantra
 


Results
Index Search for        'एवमेव'
Sutra: क्षुण्णान् यवान्निःपूतान् रात्रौ गोमूत्रपर्युषितान् महति किलिञ्जे शोषयेत्, एवं सप्तरात्रं भावयेत् शोषयेच्च; ततस्तान् कपालभृष्टान् शक्तून् कारयित्वा, प्रातः प्रातरेव कुष्ठिनं प्रमेहिणं वा सालसारादिकषायेण कण्टकिवृक्षकषायेण वा पाययेत् भल्लातकप्रपुन्नाडावल्गुजार्कचित्रकविडङ्गमुस्तचूर्णचतुर्भागयुक्तान्;एवमेव सालसारादिकषायपरिपीतानामारग्वधादिकषायपरिपीतानां वा गवाश्वाशकृद्भूतानां वा यवानां शक्तून् कारयित्वा भल्लातकादीनां चूर्णान्यावाप्य खदिराशननिम्बराजवृक्षरोहितकगुडूचीनामन्यतमस्य कषायेण शर्करामधुमधुरेण
Reference:1.1.10.4.0(पूर्व>सूत्र>विशिखानुप्रवेशनीयम्>सूत्र#4.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:विशिखानुप्रवेशनीयम्
Search other sources: search this word on other online resources