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Sutra: | आसावनतो वक्ष्यामः- पलाशभस्मपरिस्रुतस्योष्णोदकस्य शीतीभूतस्य त्रयो भागा द्वौ फाणितस्यैकध्यमरिष्टकल्पेन विदध्यात्।एवं तिलादीनां क्षारेषु; शालसारादौ न्यग्रोधादावारग्वधादौ मूत्रेषु चासवान् विदध्यात्॥ |
Reference: | 1.1.10.7.0(पूर्व>सूत्र>विशिखानुप्रवेशनीयम्>सूत्र#7.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | विशिखानुप्रवेशनीयम् |
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