Index Search for 'एतेऽभिहिता' |
Sutra: | यत्सव्रणं शुक्र(क्ल)मथाव्रणं वा पाकात्ययश्चाप्यजका तथैव। चत्वारएतेऽभिहिता विकाराः कृष्णाश्रयाः संग्रहतः पुरस्तात्॥ |
Reference: | 1.1.5.3.0(पूर्व>सूत्र>अग्रोपहरणीयम्>सूत्र#3.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्रोपहरणीयम् |
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