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Index Search for        'उष्ट्राश्वतरखरपुरीषचूर्णानि'
Sutra: महाघनमहिताहारमौषद्वेषिणमीश्वरं वा पाठाभयाचित्रकप्रगाढमनल्पमाक्षिकमन्यतममासवं पाययेत्, अङ्गारशूल्योपदंशं वा मध्वीकमभीक्ष्णम्। क्षौद्रकपित्थमरिचानुविद्धानि चास्मै पानभोजनान्युपहरेत्।उष्ट्राश्वतरखरपुरीषचूर्णानि चास्मै दद्यादशनेषु। हिङ्गुसैन्धवयुक्तैर्यूषैः सार्षपैश्च रागैर्भोजयेत्। अविरुद्धानि चास्मै पानभोजनान्युपहरेद्रसगन्धवन्ति च; प्रवृद्धमेहास्तु व्यायामनियुद्धक्रीडागजतुरगरथपदातिचर्यापरिक्रमणान्यस्त्रोपास्त्रे वा सेवेरन्॥
Reference:1.1.11.10.0(पूर्व>सूत्र>क्षारपाकविधिम्>सूत्र#10.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:क्षारपाकविधिम्
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