Index Search for 'अहिण्डुकाभिर्दष्टे' |
Sutra: | अहिण्डुकाभिर्दष्टे तोददाहकण्डुश्वयथवो भवन्ति मोहश्च; कण्डूमकाभिर्दष्टे पीताङ्गश्छर्द्यतीसारज्वरादिभिरभिहन्यते; शूकवृन्तादिभिर्दष्टे कण्डूकोठाः प्रवर्धन्ते शूकं चात्र लक्ष्यते॥ |
Reference: | 1.1.8.33.0(पूर्व>सूत्र>शस्त्रावचारणीयम्>सूत्र#33.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | शस्त्रावचारणीयम् |
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