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Sutra: | अवेदनो वाऽप्यथवा सवेदनो घनं स्रवेत् पूति च पूतिकर्णक:। प्रदिष्टलिङ्गान्यरशांसि तत्त्वतस्तथैव शोफ़ार्बुदलिङ्गमीरितम्। मया पुरस्तात् प्रसमीक्ष्य योजयेदिहैव तावत् प्रयतो भिषग्वरः॥ |
Reference: | 1.1.20.16.0(पूर्व>सूत्र>हिताहितीयम्>सूत्र#16.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | हिताहितीयम् |
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