Index Search for 'अवपाटिकानिरुद्धप्रकशसन्निरुद्धगुदजठराणि,' |
Sutra: | अवपाटिकानिरुद्धप्रकशसन्निरुद्धगुदजठराणि, ग्रन्थिक्षतक्रिमयः परिश्यायजाः कोष्ठजाश्च त्वग्दोषिणां प्रमेहिणां वा ये परिक्षतेषु दृश्यन्ते, शर्करा सिकतामेहो वातकुण्डलिकाऽष्ठीला दन्तशर्क रोपकुशः कण्ठशालूकं निष्कोषणदूषिताश्च दन्तवेष्टा विसर्पास्थिरक्षतोरःक्षतव्रणग्रन्थिप्रभृतयश्च याप्याः। |
Reference: | 1.1.23.8.0(पूर्व>सूत्र>कृत्याकृत्यविधिम्>सूत्र#8.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | कृत्याकृत्यविधिम् |
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