Index Search for 'अर्शोऽन्वितं' |
Sutra: | अर्शोऽन्वितं भवति वर्त्म तु यत्तथाऽर्शः शुष्कं तथाऽर्बुदमथो पिडकाः सिराजाः। जालं सिराजमपि पञ्चविधं तथाऽर्म छेद्या भवन्ति सह पर्वणिकामयेन॥ |
Reference: | 1.1.8.6.0(पूर्व>सूत्र>शस्त्रावचारणीयम्>सूत्र#6.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | शस्त्रावचारणीयम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|