Search Sushruta-Samhita (सुश्रुत-संहिता-अण्वेषण-पृष्ठ)     Susruta Samhit Home (आदि-पृष्ठ)           Site Home  (वेब-फलक-आदि-पृष्ठ)

DIRECT SEARCH(unicode Sanskrit)
  

ALPHABET SEARCH
                                 अं       लृ                                    
                                                            क्ष   त्र   ज्ञ


SEARCH BY CLASS
Tantra
 


Results
Index Search for        'अथ'
Sutra:अथ पतितां तण्डुलकण्डनप्रदिग्धगात्रीं तैललवणाभ्यक्तमुखीं वामहस्ताङ्गुष्ठाङ्गुलीभ्यां गृहीतपुच्छां दक्षिणहस्ताङ्गुष्ठाङ्गुलिभ्यां शनैः शनैरनुलोममनुमार्जयेदामुखात्, वामयेत् तावद्यावत् सम्यग्वान्तलिङ्गानीति। सम्यग्वान्ता सलिलसरकेन्यस्ता भोक्तुकामा सती चरेत्। या सीदति न चेष्टतेसा दुर्वान्ता, तां पुनः सम्यग्वामयेत्। दुर्वान्ताया व्याधिरसाध्य इन्द्रमदो नाम भवति।अथ सुवान्ता पूर्ववत् सन्निदध्यात्॥
Reference:1.1.13.22.0(पूर्व>सूत्र>जलौकावचारणीयम्>सूत्र#22.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:जलौकावचारणीयम्
Search other sources: search this word on other online resources