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Shloka: | अपरे त्वब्रुवंस्तत्र वातिकास्तं महीपतिम् । युधिष्ठिरस्य यज्ञेन न समो ह्येष तु क्रतुः । नैव तस्य क्रतोरेष कलामर्हतिषोडशीम् ॥ |
Reference: | 3.39.243.0.3(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>घोषयात्रापर्व>त्रिचत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#3) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | घोषयात्रापर्व |
Adhyaya: | त्रिचत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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