Index Search for 'षण्णां' |
Shloka: | षण्णां तु प्रवरं तस्य शीर्षाणामिह शब्द्यते । शक्तिं येनासृजद्दिव्यां भद्रशाख इति स्म ह ॥ |
Reference: | 3.37.217.0.13(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>सप्तदशाधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#13) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | सप्तदशाधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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