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Shloka: | गालव उवाच - अश्वानां काङ्क्षितार्थानांषडिमानि शतानि वै । शतद्वयेन कन्येयं भवता प्रतिगृह्यताम् ॥ |
Reference: | 5.54.117.11.11(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>सप्तदशाधिकशततमोऽध्यायः (117)>गालवचरितम्>श्लोक#11) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | सप्तदशाधिकशततमोऽध्यायः (117) |
Akhyana: | गालवचरितम् |
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