Index Search for 'लोमशस्य' |
Shloka: | युधिष्ठिर उवाच - अपूर्वोऽयं संभ्रमोलोमशस्य कृष्णां सर्वे रक्षत मा प्रमादम् । देशो ह्ययं दुर्गतमो मतोऽस्य तस्मात्परं शौचमिहाचरध्वम् ॥ |
Reference: | 3.33.140.0.15(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>चत्वारिंशदधिकशततमोऽध्यायः (140)>श्लोक#15) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | चत्वारिंशदधिकशततमोऽध्यायः (140) |
Akhyana: | |
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