Index Search for 'लोमश' |
Shloka: | लोमश उवाच - यः कथ्यते मन्त्रविदग्र्यबुद्धिरौद्दालकिः श्वेतकेतुः पृथिव्याम् । तस्याश्रमं पश्य नरेन्द्र पुण्यं सदाफलैरुपपन्नं महीजैः ॥ |
Reference: | 3.33.132.0.1(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>द्वात्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (132)>श्लोक#1) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | द्वात्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (132) |
Akhyana: | |
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