Index Search for 'लोमश' |
Shloka: | लोमश उवाच - रक्षांसि तानीति निवार्य पुत्रं विभाण्डकस्तां मृगयां बभूव । नासादयामास यदा त्र्यहेण तदा स पर्याववृतेऽऽश्रमाय ॥ |
Reference: | 3.33.113.0.5(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>त्रयोदशाधिकशततमोऽध्यायः (113)>श्लोक#5) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | त्रयोदशाधिकशततमोऽध्यायः (113) |
Akhyana: | |
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