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Shloka: | जनमेजय उवाच - अनर्थे जातनिर्बन्धं परार्थेलोभमोहितम् । अनार्यकेष्वभिरतं मरणे कृतनिश्चयम् ॥ |
Reference: | 5.54.104.11.1(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>चतुरधिकशततमोऽध्यायः (104)>गालवचरितम्>श्लोक#1) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | चतुरधिकशततमोऽध्यायः (104) |
Akhyana: | गालवचरितम् |
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