Index Search for 'लोभं' |
Shloka: | युधिष्ठिर उवाच - मानं हित्वा प्रियो भवति क्रोधं हित्वा न शोचति । कामं हित्वार्थवान्भवतिलोभं हित्वा सुखी भवेत् ॥ |
Reference: | 3.44.297.0.57(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आरणेयपर्व >सप्तनवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#57) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आरणेयपर्व |
Adhyaya: | सप्तनवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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