Index Search for 'लोपयिष्यामि' |
Shloka: | पिता माता गुरवश्चैव येऽन्ये देहस्यास्य प्रभवन्ति प्रदाने । नाहं धर्मंलोपयिष्यामि लोके स्त्रीणां वृत्तं पूज्यते देहरक्षा ॥ |
Reference: | 3.43.290.0.22(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>कुन्दलाहरणपर्व>नवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#22) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | कुन्दलाहरणपर्व |
Adhyaya: | नवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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