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Shloka: | चतुष्पादस्त्वया धर्मश्चितोलोक्येन कर्मणा । अक्षयस्तव लोकोऽयं कीर्तिश्चैवाक्षया दिवि । पुनस्तवाद्य राजर्षे सुकृतेनेह कर्मणा ॥ |
Reference: | 5.54.121.11.7(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>एकविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (121)>गालवचरितम्>श्लोक#7) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | एकविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (121) |
Akhyana: | गालवचरितम् |
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