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Shloka: | तस्मादपत्यं विविधाश्च भोगाः शय्यासनान्यद्भुतदर्शनानि । वस्त्राणि माल्यानि तथैव गन्धाः स्वर्गश्चलोको विषमा च कीर्तिः ॥ |
Reference: | 3.38.223.0.3(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदी-सत्यभामासंवादपर्व>त्रयोविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#3) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदी-सत्यभामासंवादपर्व |
Adhyaya: | त्रयोविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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