Index Search for 'लोकेऽस्मिन्द्विजसत्तम' |
Shloka: | अहिंसेति यदुक्तं हि पुरुषैर्विस्मितैः पुरा । के न हिंसन्ति जीवन्वैलोकेऽस्मिन्द्विजसत्तम । बहु संचिन्त्य इह वै नास्ति कश्चिदहिंसकः ॥ |
Reference: | 3.37.199.0.28(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकोनद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#28) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकोनद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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