Index Search for 'लोकेऽस्मिन्दाता' |
Shloka: | तमुवाच ततः प्रीतः स मुनिर्मुद्गलं तदा । त्वत्समो नास्तिलोकेऽस्मिन्दाता मात्सर्यवर्जितः ॥ |
Reference: | 3.41.246.0.23(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>व्रीहीद्रौणिकपर्व>षट्चत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#23) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | व्रीहीद्रौणिकपर्व |
Adhyaya: | षट्चत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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