Index Search for 'लोकेषु' |
Shloka: | कीर्तिश्च ते भारत पुण्यगन्धा नश्येतलोकेषु चराचरेषु । तत्प्राप्य राज्यं कुरुपुंगवानां शक्यं महत्प्राप्तमथ क्रियाश्च ॥ |
Reference: | 3.36.173.0.12(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आजगरपर्व>त्रिसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#12) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आजगरपर्व |
Adhyaya: | त्रिसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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