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Shloka: | ततः शक्रः प्रहसन्वञ्चयित्वा कर्णंलोके यशसा योजयित्वा । कृतं कार्यं पाण्डवानां हि मेने ततः पश्चाद्दिवमेवोत्पपात ॥ |
Reference: | 3.43.294.0.39(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>कुन्दलाहरणपर्व>चतुर्नवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#39) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | कुन्दलाहरणपर्व |
Adhyaya: | चतुर्नवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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