Index Search for 'लोके' |
Shloka: | यच्च किंचित्त्वयालोके दृष्टं स्थावरजङ्गमम् । विहितः सर्वथैवासौ ममात्मा मुनिसत्तम ॥ |
Reference: | 3.37.187.0.37(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>सप्ताशीत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#37) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | सप्ताशीत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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