Index Search for 'लोकास्त्वयाहृताः' |
Shloka: | देवानां मानुषाणां च सर्वभूतसुखावहः । त्रिभिर्विक्रमणैर्देव त्रयोलोकास्त्वयाहृताः । असुराणां समृद्धानां विनाशश्च त्वया कृतः ॥ |
Reference: | 3.37.192.0.17(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>द्विनवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#17) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | द्विनवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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