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Shloka: | वसुमना उवाच - तांस्ते ददामि पत मा प्रपातं ये मेलोकास्तव ते वै भवन्तु । क्रीणीष्वैनांस्तृणकेनापि राजन्प्रतिग्रहस्ते यदि सम्यक्प्रदुष्टः ॥ |
Reference: | 1.7.88.3.3(आदिपर्व>संभवपर्व>अष्टाशीतितमोऽध्यायः (88)>उत्तरयायातम्>श्लोक#3) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | अष्टाशीतितमोऽध्यायः (88) |
Akhyana: | उत्तरयायातम् |
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