Index Search for 'लोकान्स्वान्कर्मणा' |
Shloka: | लोमश उवाच - स चकार तथा सर्वं राजा राजीवलोचनः । पुनश्च लेभेलोकान्स्वान्कर्मणा निर्जिताञ्शुभान् । सह तेनैव विप्रेण गुरुणा स गुरुप्रियः ॥ |
Reference: | 3.33.128.0.17(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>अष्टाविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (128)>श्लोक#17) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | अष्टाविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (128) |
Akhyana: | |
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