Index Search for 'लोकान्प्राप्नोति' |
Shloka: | तत्र तीर्थे नरः स्नात्वा प्राणांश्चोत्सृज्य भारत । नारदेनाभ्यनुज्ञातोलोकान्प्राप्नोति दुर्लभान् ॥ |
Reference: | 3.33.81.0.68(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>एकाशीतितमोऽध्यायः (81)>श्लोक#68) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | एकाशीतितमोऽध्यायः (81) |
Akhyana: | |
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