Index Search for 'लोकानां' |
Shloka: | अथ संचिन्तयामास भगवान्हव्यवाहनः । अन्योऽग्निरिहलोकानां ब्रह्मणा संप्रवर्तितः । अग्नित्वं विप्रनष्टं हि तप्यमानस्य मे तपः ॥ |
Reference: | 3.37.207.0.10(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>सप्ताधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#10) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | सप्ताधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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