Index Search for 'लोकहिताय' |
Shloka: | वध्यत्वमुपगच्छेतां मम सत्यपराक्रमौ । एतदिच्छाम्यहं कामं प्राप्तुंलोकहिताय वै ॥ |
Reference: | 3.37.194.0.22(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>चतुर्नवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#22) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | चतुर्नवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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